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(गीता-40) कोई नहीं आएगा बचाने, उठो और संघर्ष करो! || आचार्य प्रशांत (2024)

2024-05-05 10 Dailymotion

➖➖➖➖➖➖<br /><br />#acharyaprashant<br /><br />वीडियो जानकारी: 03.02.24, गीता समागम, ग्रेटर नॉएडा <br /><br />प्रसंग: <br /><br />जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्त्वतः । <br />त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन ।।९।।<br /><br />अर्जुन, मेरे इस प्रकार दिव्य जन्म और कर्म को जो यथार्थ रूप से जानते हैं (माने ठीक-ठीक समझ गए कि मैं कौन हूँ और मैं क्या करता हूँ), जो लोग ये बात ठीक से समझ गए वे देह छोड़कर बार-बार जन्म नहीं लेते, वो तो मुझे ही प्राप्त कर लेते हैं।<br /><br />काव्यात्मक अर्थ:<br />वो बाहर नहीं जन्मेंगे कहीं <br />आस ये अवरुद्ध करो <br />हरि भीतर ही प्रकटेंगे अभी <br />यदि स्वयं से तुम युद्ध करो<br /><br />कृष्ण के जन्म का क्या अर्थ है? अपने ही अहंकार को काटना I<br />जीव को सबसे बड़ा धोखा ये होता है, कि उसको बचाने वाला, या उसका आराध्य, उसका सहारा, उसका तारणहार कहीं बाहर से आने वाला है I<br />हमारी जो पूरी शिक्षा है, आंतरिक प्रशिक्षण है, वो hero worship का हो चुका है। हम स्वयं में विश्वास नहीं रखते I<br />महानता को अपने से बाहर स्थापित करना न सिर्फ एक कुटिल चाल है बल्कि आत्मघाती चाल है। <br />एक बात बहुत भीतर तक उतर जाने दीजिये कोई नहीं आने वाला, कोई नहीं सहारा देने वाला, किसी के भरोसे नहीं बैठ सकते।<br />भगत सिंह सबको चाहिए पर पड़ोस के घर में। <br />भारत में हमने कहा अगर किसी से द्वेष हो गया है तो उसको महापुरुष घोषित कर दो।<br />कैसे ऊँचा उठा जाता है– अपने भीतर उसको काट कर जो निचाई का पक्षधर है। <br /><br />साधु रण में जूझकर टूटन दे अहंकार<br />जग की मरनी क्यों मरें दिन में सौ सौ बार।<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~

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